बरगद लेखनी प्रतियोगिता -17-Dec-2021
मेरा बूढ़ा बरगद बाबा-----
इतना घना वो इतना बड़ा है
जिसकी छाया वरदान सी लगती
कईं पीढ़िया जिसमें पलती
इक दिन मुझसे बोले पिताजी
ऐ बिटिया सुन तो जरा---
ये बरगद तुमको भाता है ना
आंखे मटकाकर मैंने कहा ---
हाँ, ये मुझे बहुत भाता है |
चलो तुम्हें एक बात बताऊँ
बरगद दिखता है जो बाहर
भीतर से ये वैसा नहीं है ,
मैंने तुनककर झट से पूछा –
ऐसा-वैसा समझ पड़े ना
मुझे पिताजी कुछ समझाओ
क्या ये कोई दानव है ? या ---
है कोई मायावी पक्षी
मेरे प्रश्नों से चौंक गए थे ,
सिर अपना वो पकड़ के बैठे
बोले – वो मेरी पगली-चिड़िया
कितना चीं चीं करती है तू
एक प्रश्न, कब रुकती है तू
चपत पड़ी एक गोल-कपोल पर
बोले --- है कहानी बड़ी पुरानी
है यादों का अद्भुत मेला
मैं अचरज से चोंक गई
प्रश्नों में ही डूब गईं –
ऐसा क्या था छुपा हुआ
जो बरगद से जुड़ा हुआ
पर मुझको वो नहीं पता जैसे-तैसे विनती करके
पूछ लिया इतिहास मगर -------
पता चला जब दुख बरगद का
आँसू धारा रोक सकी ना
तुम भी सुनो दुख की गाथा
मेरे दादाजी के बचपन मे
बरगद का भी एक साथी
कुछ कदमों की दूरी पर
एक था पीपल हरा भरा
दूर थे लेकिन पास थे दोनों
एक दूजे की जान थे दोनों
बरगद था मैदान मे----
और पीपल था पगडंडी पर ---
गाँव बदलकर शहर बना तो
पगडंडी भी सड़क बनी
बरगद के उस मित्र की
रातों रात चढ़ गई बलि
दादाजी थे बालक तब
इसीलिए सब भांप गए
बरगद के उस भीगे तने को
कईं दिनों सहलाते रहे
बरगद दुख ये किसको बताता ----
पीपल को जब काटा गया
वो खुद भी भीतर कटा छटा था
भूल के अपना दुख वो विशाल
आज भी सबको छाया देता
पर दादाजी कहते हैं -----
बरगद हँसना भूल गया है
बरगद हँसना भूल गया है
शहर की सड़कों -इमारतों मे
अपने पीपल को ढूंढ रहा है ---
अपने पीपल को ढूंढ रहा है |
Shrishti pandey
18-Dec-2021 09:16 AM
Nice
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Swati chourasia
17-Dec-2021 11:58 PM
Very beautiful 👌
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Abhinav ji
17-Dec-2021 11:33 PM
Bahut hi badhiya
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